भारत में कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और सुधार की आवश्यकता
भारत का कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। हालांकि, समय के साथ कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियाँ आई हैं, जिनसे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस ब्लॉग में हम भारत में कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेंगे और सुधार के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करेंगे।

भारत में कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
- कृषि पर निर्भरता:
- भारत की लगभग 60% से 65% जनसंख्या कृषि और उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है। बावजूद इसके, कृषि क्षेत्र GDP में केवल 17-18% योगदान देता है। यह बताता है कि कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या के मुकाबले उसका आर्थिक योगदान कम है।
- सिंचाई की समस्याएँ:
- भारतीय कृषि में लगभग 60% भूमि वर्षा पर निर्भर करती है। इस कारण किसानों को अनियमित बारिश और सूखा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सिंचाई की सुविधाएँ भी अपर्याप्त हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
- भूमि की उर्वरता में कमी:
- भूमि की उर्वरता में कमी और मृदा का क्षरण एक बड़ी समस्या है। अधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है।
- अधिकारिक नीतियाँ और समर्थन:
- सरकार द्वारा कई योजनाएँ बनाई गई हैं, जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), फसल बीमा योजना, और ऋण योजना, लेकिन इनका किसानों तक सही तरीके से पहुंचना एक चुनौती है।
- कृषि उत्पादों की कम मूल्य प्राप्ति:
- किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता। मंडियों में बिचौलिए की मौजूदगी के कारण किसानों को उनके उत्पाद का वास्तविक मूल्य नहीं मिलता है।
कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
- सिंचाई सुविधाओं में सुधार:
- किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करने की आवश्यकता है। ड्रिप इरिगेशन और वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि जल की बर्बादी रोकी जा सके और किसानों को निरंतर जल आपूर्ति मिले।
- जैविक खेती को बढ़ावा:
- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के स्थान पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे भूमि की गुणवत्ता में सुधार होगा और किसानों को प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग मिलेगा।
- फसल विविधीकरण:
- किसानों को फसल विविधीकरण के महत्व को समझाना आवश्यक है। एक ही फसल पर निर्भर रहने से जोखिम बढ़ जाता है, लेकिन फसल विविधीकरण से किसान अपनी आय को स्थिर रख सकते हैं और प्राकृतिक आपदाओं से बच सकते हैं।
- कृषि में तकनीकी हस्तक्षेप:
- कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाना चाहिए, जैसे कि GPS आधारित खेती, ड्रोन तकनीक, मृदा स्वास्थ्य की निगरानी, और मौसम पूर्वानुमान। ये तकनीकें न केवल उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि किसानों को बाजार की स्थिति के बारे में भी जानकारी देंगी।
- सामर्थ्य आधारित ऋण प्रणाली:
- किसानों के लिए अधिक सुलभ और सुविधाजनक ऋण प्रणाली बनाई जानी चाहिए। उन्हें उनकी वास्तविक ज़रूरतों के हिसाब से ऋण मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी फसल की लागत उठा सकें और फिर से खेती में निवेश कर सकें।
- नए बाजारों तक पहुँच:
- किसानों को सीधे बाजारों तक पहुँच प्रदान करने के लिए आवश्यक है। डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके किसान अपनी उपज को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचा सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छे मूल्य मिल सकते हैं और बिचौलियों की भूमिका कम होगी।
- कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण:
- किसानों को नई कृषि तकनीकों और विधियों के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इससे वे अपनी खेती में सुधार कर सकेंगे और बेहतर फसल उगा सकेंगे।
- समय पर मौसम पूर्वानुमान:
- किसान मौसम के अनुसार अपनी खेती की योजना बना सकें, इसके लिए सटीक मौसम पूर्वानुमान और सलाहकार सेवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे वे प्राकृतिक आपदाओं से बच सकते हैं और अपनी फसल को बचा सकते हैं।
