Agriculture: India’s Economic Stream and its Challenges

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कृषि: भारत की आर्थ‍िक धारा और उसकी चुनौतियाँ

भारत की अर्थव्यवस्था की नींव कृषि पर टिकी हुई है। लगभग 60% भारतीय जनता कृषि पर निर्भर है, और यह आंकड़ा आज भी काफी उच्च है। कृषि न केवल हमारे भोजन की आवश्यकता को पूरा करता है, बल्कि लाखों लोगों के रोजगार और जीवनयापन का मुख्य साधन भी है। भारतीय समाज में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन आज के समय में कृषि कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इस ब्लॉग में हम कृषि की भूमिका, इसके महत्व, समस्याओं और विकास के रास्तों पर चर्चा करेंगे।

कृषि का महत्व

भारत की कृषि केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक ढांचे का भी एक अहम हिस्सा है। भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में निवास करती है, और इन इलाकों के जीवन का मुख्य आधार कृषि है। कृषि से न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह अन्य उद्योगों को भी बढ़ावा देती है।

  1. आर्थिक योगदान: कृषि का भारतीय GDP में लगभग 17-18% योगदान है, हालांकि यह प्रतिशत घट रहा है, फिर भी कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कृषि से जुड़े उद्योग, जैसे खाद्य प्रसंस्करण, कृषि यांत्रिकीकरण, और बीज उत्पादन भी तेजी से विकास कर रहे हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।
  2. रोजगार का प्रमुख स्रोत: कृषि भारत में सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र है। इसमें न केवल किसान, बल्कि श्रमिक, कृषि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े लोग, और कृषि से संबंधित अन्य लोग भी काम करते हैं। कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर विशाल होते हैं, और यह अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक लोगों को रोजगार देता है।
  3. खाद्य सुरक्षा: कृषि का मुख्य उद्देश्य खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। भारतीय कृषि पूरे देश की खाद्य आपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करती है। गेहूं, चावल, दालें, तिलहन, और अन्य कृषि उत्पाद भारतीय आहार का हिस्सा हैं।

कृषि की प्रमुख समस्याएँ

हालांकि कृषि हमारे देश की रीढ़ है, लेकिन इस क्षेत्र को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएँ न केवल किसानों के लिए, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए भी चिंता का कारण बनती हैं। आइए, इन समस्याओं पर विचार करते हैं:

  1. जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन ने कृषि को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। अनियमित वर्षा, अधिक गर्मी, सूखा, बाढ़, और तापमान में बदलाव ने फसल उत्पादन को प्रभावित किया है। किसानों को हर साल नए जलवायु परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी उपज कम हो रही है और उन्हें अधिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
  2. भूमि की गुणवत्ता में गिरावट: भूमि की गुणवत्ता में गिरावट, जैसे भूमि की उर्वरकता कम होना और मिट्टी का क्षरण, एक बड़ी समस्या बन गई है। अति-उर्वरक और रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की सेहत खराब हो रही है, जिससे कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
  3. पानी की कमी: पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। कई राज्यों में जल संकट गहरा हो गया है, जिससे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल हो गया है। कुछ क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की उपलब्धता में कमी आई है, जिससे कृषि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
  4. कीट और रोग: कृषि में कीटों और रोगों का आक्रमण भी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। कीटनाशकों का अधिक उपयोग भी इस समस्या को बढ़ा रहा है। किसानों को समय-समय पर इसके उपायों की जानकारी नहीं मिलती है, जिससे फसलें नष्ट हो जाती हैं।
  5. अल्पकालिक फसल योजना और विपणन: भारतीय किसानों को उपज के अच्छे मूल्य की प्राप्ति के लिए सही विपणन व्यवस्था का अभाव है। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने उत्पाद को उचित मूल्य पर नहीं बेच पाते और इसका प्रभाव उनकी आय पर पड़ता है।
  6. कृषि ऋण और समर्थन मूल्य: किसानों के लिए ऋण की उपलब्धता एक समस्या है। अधिकतर किसान बैंक से ऋण प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं, और उनके पास उपज की खरीदारी के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते। इसके अलावा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन न होना भी एक बड़ी चुनौती है।

कृषि में सुधार के उपाय

भारत में कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। हालांकि समस्याएं गंभीर हैं, फिर भी कई सुधारों और नीतियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूत किया जा सकता है।

  1. स्मार्ट कृषि और प्रौद्योगिकी का उपयोग: आधुनिक तकनीकी उपकरण और कृषि उपकरण जैसे ड्रोन, GPS, और सेन्सर तकनीक का उपयोग कृषि कार्यों को आसान और प्रभावी बना सकता है। स्मार्ट कृषि से किसान सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनका उत्पादन बढ़ सकता है और संसाधनों का सही उपयोग हो सकता है।
  2. जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ अपनाई जा सकती हैं। जैसे जल संरक्षण, मल्चिंग, और सूक्ष्म सिंचाई जैसी तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जा सकता है। यह फसल उत्पादन को सुरक्षित रखेगा और जलवायु के प्रभावों से बचाएगा।
  3. सिंचाई प्रणालियों का सुधार: सिंचाई के बेहतर उपायों को लागू करना आवश्यक है। ड्रिप सिंचाई, वर्षा जल संचयन, और अन्य जल बचाने वाली तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए। इससे पानी की बचत होगी और खेती में बेहतर परिणाम मिलेंगे।
  4. बीजों और उर्वरकों का सही उपयोग: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग और जैविक उर्वरकों का बढ़ावा देना कृषि के उत्पादन में सुधार ला सकता है। किसानों को बीजों के बारे में उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देने से उत्पादन बढ़ सकता है।
  5. कृषि कोष और ऋण प्रणाली में सुधार: किसानों के लिए ऋण की सुलभता को बढ़ावा देना और कृषि कोष की सटीक प्रणाली लागू करना किसानों को सहायता प्रदान कर सकता है। सरकार को कृषि ऋण प्रणाली को आसान और पारदर्शी बनाना चाहिए, ताकि किसान सही समय पर अपना कर्ज चुका सकें।
  6. कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण देना आवश्यक है। इससे वे नई पद्धतियों को अपनाकर अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और अपने व्यापार को बेहतर तरीके से चला सकते हैं।

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